बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- "निबन्धात्मक परीक्षण की कमियों को दूर करने के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षण की आवश्यकता है।" इस कथन के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
(Demerits of Essay Type Examinations)
निबन्धात्मक परीक्षाओं के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-
(i) अस्पष्ट उद्देश्य - निबन्धात्मक परीक्षाओं का उद्देश्य स्पष्ट नहीं होता है। मूल्यांकन का प्रमुख उद्देश्य निर्धारित उद्देश्य के सम्बन्ध में अधिकाधिक वस्तुनिष्ठ एवं विश्वसनीय जानकारी प्रदान करना होता है। मूल्यांकन एवं उद्देश्य के मध्य गहन सम्बन्ध पाया जाता है, अतः उद्देश्य प्राप्ति के सम्बन्ध में मूल्यांकन के आधार पर ही जानकारी प्रदान करके शिक्षण की दिशा में सार्थक प्रयास किये जाते हैं। जब उद्देश्य के सम्बन्ध में कोई जानकारी ही नहीं प्राप्त होगी, तो उद्देश्य प्राप्ति की दिशा में सार्थक प्रयास करना असम्भव हो जायेगा।
(ii) स्मृति पर अधिक बल – इन परीक्षाओं में स्मृति पर अधिक बल दिया जाता है, क्योंकि इसके अन्तर्गत छात्रों से बड़े-बड़े प्रश्न पूछे जाते हैं, जो कि विषय से सम्बन्धित होते हैं। अतः इनमें तीव्र स्मृति की आवश्यकता होती है।
(iii) छात्रों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव - ये परीक्षायें छात्रों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं, क्योंकि छात्र सम्पूर्ण वर्ष नियमित रूप से अपनी तैयारी करने के स्थान पर परीक्षा से कुछ दिन पूर्व ही तैयारी प्रारम्भ करते हैं। अल्प समय में तैयारी करने का परिणाम यह होता है कि छात्रों की दिनचर्या प्रभावित होती है और उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है।
(iv) समय व धन का अपव्यय - इन परीक्षाओं का आयोजन करने में काफी समय लगता है। इनकी संचालन व्यवस्था में प्रायः एक माह से भी अधिक समय लगता है। कुछ छात्र परीक्षा के मध्य अथवा परीक्षा के उपरान्त बीमार होकर पस्त हो जाते हैं। इन परीक्षाओं पर आधारित प्रश्न-पत्रों का निर्माण करने, उनका मुद्रण करने आदि में भी बहुत अधिक समय लगता है और इनके रखरखाव आदि में समय के साथ-साथ धन भी काफी व्यय होता है।
(v) मूल्यांकन में कठिनाई - इन परीक्षाओं का कोई निश्चित मापदण्ड नहीं होता है, जिसके कारण परीक्षक को अंक प्रदान करने में अत्यन्त कठिनाई होती है।
(vi) साधन के स्थान पर लक्ष्य- ये परीक्षायें आज केवल साधन के स्थान पर लक्ष्य बन कर रह गयी हैं, क्योंकि बालक के ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं क्रियात्मक पक्ष का निर्णय वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं के आधार पर लिया जा सकता है।
(vii) अभिप्रेरित करने में असक्षम - ये परीक्षायें छात्रों को वांछित अधिगम की दिशा में अभिप्रेरित नहीं करती हैं, क्योंकि इन परीक्षाओं से सम्बन्धित पाठ्यक्रम का जीवन के वास्तविक पहलुओं अथवा यथार्थ जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं होता है।
(Suggestions for Improvement in Essay Type Examination)
इसके लिए निम्नलिखित सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं-
(i) प्रश्नपत्र में प्रश्नों की संख्या अधिक नहीं होनी चाहिए।
(ii) प्रश्नपत्र बनाने से पूर्व, परीक्षा का उद्देश्य निश्चित कर लेना चाहिए।
(iii) प्रश्नपत्र के परम्परागत रूप में परिवर्तन किया जाना चाहिए तथा प्रश्नों के मध्य उचित विकल्प दिए जाने चाहिए।
(iv) प्रश्नपत्र की रचना करते समय सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को ध्यान में रखना चाहिए, जिससे सम्पूर्ण पाठ्यक्रम के विषय में छात्र के अर्जित ज्ञान की परीक्षा की जा सके
(v) प्रश्नपत्र में पहले सरल प्रश्नों का तथा बाद में कठिन प्रश्नों का समावेश किया जाना
(vi) प्रश्न, विषय से सम्बन्धित तथा छोटे-छोटे होने चाहिए, जिनका उत्तर संक्षेप में दिया
(vii) प्रश्नपत्र में सभी प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य होना चाहिए।
(viii) प्रश्नपत्र में लघु उत्तरीय एवं अति लघु उत्तरीय प्रश्न अधिक दिए जाने चाहिए। (ix) प्रश्न छोटे तथा स्पष्ट भाषा में होने चाहिए।
(x) प्रश्नों के आदर्श हल प्रत्येक मूल्यांकनकर्ता से पहले से ही प्रदान किए जाने चाहिए। (xi) प्रत्येक प्रश्न खण्ड के लिए अंक पूर्व-निर्धारित होने चाहिए।
(xii) अंक प्रदान करने के लिए मूल्यांकनकर्ता को साधारण नियम बना लेने चाहिए। (xiii) उत्तर पुस्तिका में छात्र के नाम की जगह उसका अनुक्रमांक लिखा जाना चाहिए।
(xiv) मूल्यांकनकर्ता को पहले कुछ प्रश्न मढ़कर अच्छे और निम्न स्तर के लिए मापदण्ड का निर्धारण कर लेना चाहिए।
(xv) प्रत्येक विषय में नवीन प्रकार की परीक्षाओं को अवश्य शामिल किया जाना चाहिए।
(Major Merits of Objective Examinations/Tests)
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
(i) वस्तुनिष्ठता - वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में वस्तुनिष्ठता का गुण विद्यमान होता है। इसका आशय यह है कि अनेक माध्यम से प्रदान किये गये अंकों पर वैयक्तित्व तत्वों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वैयक्तित्व इन परीक्षणों में कोई स्थान नहीं रखते हैं। प्रत्येक प्रश्न का केवल एक वह पूर्व सुनियोजित उत्तर होता है तथा इस प्रश्न को जितने भी परीक्षक जाँचते हैं सभी एक ही समान अंक देते हैं।
(ii) विश्वसनीयता - यह वस्तुनिष्ठ परीक्षण का एक महत्वपूर्ण गुण है। इसका तात्पर्य यह है कि छात्र के किसी समूह पर किसी परीक्षण को एक से अधिक बार किये जाने पर परीक्षण दर प्राप्त अंक प्रत्येक स्थिति में समान होंगे अर्थात् उनमें किसी भी प्रकार की विभिन्नता दिखाई नहीं देगी। -
(iii) व्यावहारिकता - प्रत्येक परीक्षण व्यावहारिक दृष्टि से भी उपयोगी होना चाहिए। चयन, तुलना व भावी जीवन के सम्बन्ध में निर्णय लेने की दृष्टि से इनका अत्यधिक महत्व है। शिक्षा के क्षेत्र में इनका विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जाता है। इनके निर्माण एवं प्रयोग की प्रक्रिया व्यावहारिक दृष्टि से अधिक जटिल नहीं होती है। इनका प्रशासन छात्रों पर सरलता से किया जा सकता है।
(iv) वैधता - किसी परीक्षण की वैधता, उसकी वह सीमा है, जिस सीमा तक वह मापता है, जिसके लिए उसका निर्माण किया गया है।
(v) अंकन की सरलता - परीक्षकों को इन परीक्षणों द्वारा प्राप्त उत्तरों का मूल्यांकन करने में अधिक श्रम नहीं करना पड़ता है। इसमें समय भी कम लगता है। अतः एक सामान्य व्यक्ति इसे बंडी ही आसानी से प्रयोग कर सकता है।
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- प्रश्न- शिक्षा में मापन के अर्थ एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक मापन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मापन की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की अवधारणा एवं अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए !
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मापन और मूल्यांकन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- मापन एवं मूल्याँकन में क्या अन्तर है? शिक्षा में इनकी क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा में मूल्यांकन के उद्देश्य और कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आकलन क्या है तथा आकलन क्यों किया जाता है? विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- आकलन के क्षेत्र उनकी आवश्यकता तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन के प्रकार तथा इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आकलन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आकलन प्रक्रिया के सोपान कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- भौतिक तथा मानसिक मापन क्या होता है? इनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्यों तथा उसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अच्छे मापन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मापन कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- शैक्षिक मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- मापन एवं मूल्यांकन के विशिष्ट उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- सतत् तथा व्यापक मूल्यांकन का क्या महत्त्व है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण मानक को विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- मानक से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते है? अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- मानक कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- अंकन तथा ग्रेडिंग प्रणाली का अर्थ बताते हुए दोनों के बीच क्या अन्तर है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रचलित क्रेडिट सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानक परीक्षण 'मानक' क्या होते हैं?
- प्रश्न- मानक क्या है? मानकों के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से क्या आशय है? इसके उद्देश्य एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं को बताइये।
- प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे परीक्षण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण की प्रकृति के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- परीक्षण के द्वारा मापे जा रहे गुणों के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- परीक्षण के प्रशासन के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- परीक्षणों में प्रयुक्त प्रश्नों के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- प्रश्नों के उत्तर के फलांकन के आधार पर परीक्षणों का वर्गीकरण, कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण में लगने वाले समय के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- "निबन्धात्मक परीक्षण की कमियों को दूर करने के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षण की आवश्यकता है।" इस कथन के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसके उद्देश्य, गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षणों का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- मापीकृत उपलब्धि परीक्षण और अध्यापककृत उपलब्धि परीक्षणों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रत्यय / अवधारणा को बताते हुए उसके अर्थ एवं परिभाषा तथा बुद्धि की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? व्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ एवं सीमाएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की सीमायें बताइये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं? संवेगात्मक लब्धि के विचार पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
- प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
- प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
- प्रश्न- शाब्दिक एवं अशाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के अंतर को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
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- प्रश्न- प्रक्षेपी विधियों की प्रकृति तथा विशेषताएँ बताइये।
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- प्रश्न- अभिक्षमता परीक्षण के मापन पर प्रकाश डालिए।